सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय, जाने कैसे बनी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी | Sarojini Naidu Biography in Hindi
सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय, जन्म, परिवार, जाति, पिता का नाम, हिंदुस्तान में कोकिला क्यों कहा जाता है, विवाह, पुरस्कार, मृत्यु, कविताएं, रचना ,जयंती ( Sarojini Naidu Biography in Hindi , Birth, Family, Caste, Father Name, Information, Death, Awards List, Sarojini Naidu Kon hai )
Sarojini Naidu Ka jeevan parichay: नमस्कार दोस्तों आज इस लेख में हम आपको भारत की एक ऐसी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कवियत्री के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें भारत की बुलबुल (कोकिला) के नाम से भी जाना जाता है।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं सरोजिनी नायडू जी की जोकि भारत की पहली ऐसी महिला थी। जिन्हें इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुना गया था। उस समय प्रदेश का गवर्नर बन कर भी उन्होंने अपने नाम यह रिकॉर्ड दर्ज किया था।
इन्हें कविताएं लिखने का बहुत शौक था और यह बच्चों के ऊपर अपनी कविताएं लिखती थी कहा जाता है कि उनकी अंदर बचपना आज भी मौजूद था। इसलिए उन्हें बुलबुल भी कहा जाता था भारत की कोकिला कही जाने वाली सरोजनी नायडू का नाम भारत की महान महिलाओं में सबसे ऊपर आता है।
वह हमारे लिए किसी नवरत्न से कम नहीं थी उनकी जन्मदिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है हर एक महिला के लिए उन्होंने प्रेरणा का काम किया है। वह एक कुशल राजनेता और अद्भुत लेखिका थी यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वह बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी।
सरोजिनी नायडू गांधी जी की आंदोलनों से काफी प्रभावित कि जिनके कारण ने कई बार जेल भी जाना पड़ा था भारत की ऐसी महिला थी। जिन्होंने बिना किसी की परवाह किए हुए स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाई थी।
यदि आप एक महान महिला की जीवन के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख कोअंत तक अवश्य पढ़ें।
Table of Contents
सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय| Sarojini Naidu Biography in Hindi
नाम | सरोजिनी चटोपाध्य |
अन्य नाम | भारत की कोकिला |
जन्म | 13 फरवरी 1879 |
जन्म स्थान | हैदराबाद |
उम्र | 70 |
प्रसिद्धि | कवि एवं स्वतंत्रता संग्रामी |
जाति | बंगाली |
पिता का नाम | डॉ अघोरनाथ चटोपाध्या |
माता का नाम | वारद सुन्दरी देवी |
मृत्यु | 2 मार्च 1949 |
बेटे का नाम | रणधीर, जयसूर्या नायडू |
नागरिकता | भारतीय |
पति का नाम | डॉ गोविन्द राजुलू नायडू |
धर्म | हिन्दू |
बेटी का नाम | लिलामानी, निलावर |
मृत्यु का स्थान | हिन्दू |
सरोजिनी नायडू का जन्म (Sarojini Naidu Birth)
सरोजिनी नायडू का जन्म आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में 13 फरवरी 1879 को हुआ था इनकी माता-पिता की कुल 8 संतानें थी जिसमें सरोजिनी नायडू ही सबसे बड़ी थी इसलिए उन्होंने हमेशा अपने छोटे भाई बहनों को सही मार्गदर्शन दिया था।
सरोजिनी नायडू का परिवार (Sarojini Naidu family)
सरोजिनी नायडू के पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था इनकी पिता हैदराबाद में एक कॉलेज के एडमिन होने के साथ-साथ वैज्ञानिक और डॉक्टर भी थे परंतु इन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर देश की आजादी में हिस्सेदारी निभाई। इसीलिए उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस हैदराबाद ज्वाइन कर ली और स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े।
सरोजिनी नायडू की मां का नाम भरत सुंदरी देवी था जोकि एक लेखिका थी और अपनी कविताओं को बंगाली भाषा में लिखी थी इनकी दो भाई थे एक का नाम वीरेंद्र नाथ तथा दूसरे का नाम हरेंद्रनाथ था।
इनके बड़े भाई वीरेंद्र नाथ एक बहुत ही बड़े क्रांतिकारी थे बर्नल कमेटी बनाने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इसी कारण से 1937 में एक अंग्रेज ऑफिसर ने इनकी हत्या कर दी थी।
इनकी भाई हरेंद्रनाथ एक बेहतरीन एक्टर और कवि थे इनका पूरा परिवार पढ़ा लिखा था जो कि देश के हित के लिए हमेशा तत्पर रहता था और देश की स्वतंत्रता में इनकी परिवार ने भी काफी मदद की थी।
सरोजिनी नायडू की शिक्षा (Sarojini Naidu Education)
सरोजनी नायडू बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार रही है और बहुत कम उम्र में ही उन्हें उर्दू तेलुगु इंग्लिश बंगाली बहुत ही भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हो गया था और महज 12 साल की उम्र में ही इन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की परीक्षा मैं पूरे मद्रास में टॉप किया था।
जिनसे उन्हें काफी तारीफें मिली थी इनके पिता चाहते थे कि यह आगे चलकर वैज्ञानिक डॉक्टर बने या फिर गणित विषय को लेकर अपनी पढ़ाई जारी रखें।
परंतु इनका सपना तो बचपन से ही लेखिका बनने का था क्योंकि वह अपनी मां की तरह ही कविताएं लिखना चाहती थी।
परंतु उनके पिता ने उन्हें गणित का 1 सवाल हल करने के लिए दिया और उन्होंने उस कॉपी में करीब 13 सौ लाइन की कविता लिख डाली जिसे देखकर उनकी पिताजी आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने इस कॉपी कि ना जाने और कितनी कॉपियां बनवाई और इसे हैदराबाद के नवाब को दिखाते हैं।
इस कविता को देखकर बहुत खुश हो जाते हैं और वह कहते हैं कि तुम्हें अपनी बेटी को आगे भी पढ़ाना चाहिए इसके लिए मैं स्कॉलरशिप देने के लिए तैयार हूं तब उनके पिताजी सरोजिनी को लंदन भेज देते हैं।
उन्होंने लंदन के किंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और आगे की पढ़ाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी फिर तो कॉलेज से की थी।कॉलेज में पढ़ते समय भी उनकी रूचि कम नहीं हुई वह कविताएं लिखती रहती थी क्योंकि रुचि उन्हें विरासत में अपनी माता से मिली थी।
सरोजिनी नायडू का वैवाहिक जीवन (Sarojini Naidu marriage)
सरोजिनी नायडू 1898 में भारत वापस लौट आई थी परंतु कॉलेज की पढ़ाई करते वक्त उनके साथी डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू से इनकी मुलाकात हुई थी और यह एक दूसरे के साथ काफी समय बिताया करते थे और जैसे ही कॉलेज की पढ़ाई खत्म हुई थी।
यह एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे सरोजनी नायडू ने अपनी पढ़ाई 19 साल की उम्र में ही खत्म कर ली थी। इसके बाद 1897 में इन्होंने अपनी पसंद से इंटर कास्ट में शादी कर ली थी उस समय किसी अन्य जाति से शादी करना समाज में किसी गुनाह से कम नहीं था।
परंतु फिर भी इनकी पिता ने किसी के बारे में सोचे बिना अपनी बेटी की फैसले को मान लिया था रोहिणी अपने दांपत्य जीवन में काफी सुखी रहे इस शादी से उनके 4 बच्चे हुए थे।
उनकी बड़ी बेटी पद्मजा सरोजिनी जी की ही परछाई थी जो कि अपनी मां की तरह ही कवियत्री और एक राजनीतिक भी रही 1961 में पद्म जाने राजनीति में अपना पहला कदम रखा और पश्चिम बंगाल की गवर्नर बन गई।
सरोजनी नायडू की कविताएं (Sarojini Naidu Famous Poems)
सरोजिनी नायडू ने शादी से पहले ही गोविंद नायडू से कह दिया था कि मैं शादी के बाद भी अपने काम में अग्रसर रहूंगी। जिससे इनके पति को कोई आपत्ति नहीं थी और उन्होंने शादी के बाद भी अपने काम में रुचि दिखाते हुए सुंदर सुंदर कविता का लेखन किया।
जिसे लोग गाने के रूप में पसंद करते थे और 1905 में उन्होंने एक ऐसी कविता बुलबुले हिंदी लिखी जिसके प्रकाशन के बाद उनकी पहचान लोगों के दिलों में छप गई इसके बाद जैसे कि उनके प्रशंसकों की लिस्ट बढ़ गई और लगातार इनकी कविताएं प्रकाशित होने लगी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू, रविंद्र नाथ टैगोर जैसे महान लोग भी इनकी कविताओं के प्रेमी हुआ करते थे भारत की कोकिला अपनी कविताओं को इंग्लिश में भी लिखती थी। परंतु उनकी हर कविता में एक भारतीयता का प्रेम झलकता था।
इनकी सबसे प्रमुख कविताओं में द ओनर ऑफ एक्साइल इंडियन डांसर, द इंडियन इंडियन लव सॉन्ग, द फॉरेस्ट इंडियन नाईट फॉल सिटी इन हैदराबाद और भी कई ऐसी कविताएं हैं। जो उस समय बहुत ज्यादा प्रसिद्ध थी और लोगों के लिए अत्यधिक लोकप्रिय बनती जा रही थी।
सरोजिनी नायडू की पुस्तकें (Sarojini Naidu Books)
1 | 1905 | द गोल्डन थ्रेसोल्ड |
2 | 1912 | द बर्ड ऑफ टाइम |
3 | 1917 | द ब्रोकन विंग |
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू की कविताओं को लोग बहुत ज्यादा पसंद कर रहे थे इस कारण उनसे एक दिन गोपाल कृष्ण गोखले जी मिलने आए और उन्होंने सरोजिनी से कहा कि तुम्हें अपनी कविताओं में क्रांतिकारी भाव जागृत करने होंगे।
जिससे कि छोटे-छोटे गांव को लोगों को प्रोत्साहन मिल सके उनकी इस बात ने सरोजिनी की दिल खुशबू लिया इसके बाद वह 1916 में महात्मा गांधी से मिलने चली गई और उनसे मिलने के बाद इनकी सोच पूरी तरीके से बदल गई और उन्होंने अपनी कविताओं में देश को आजाद कराने के लिए पूरी ताकत से आह्वान किया।
इसके बाद उन्होंने पूरे देश का निरीक्षण एक सेनापति की तरह किया और देश के हर कोने में आजादी के लिए एक नई क्रांति का संचार किया।
देश की आजादी उनकी आत्मा और दिल में बस चुकी थी जब हमारा देश आजाद नहीं था तब भारत की महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय थी।
इसलिए सरोजनी नायडू ने महिलाओं को मुख्य रूप से जागृत किया और बहुत सी ऐसी प्रथाएं जिनमें महिलाएं जकड़ी हुई थी उन्हें उनके अधिकार के लिए रसोई घर से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहन दिया।
वह आजादी के लिए हर छोटे-छोटे गांव प्रदेश और कस्बे में जाकर वहां की महिलाओं को आजादी के लिए प्रोत्साहित करती थी ताकि वह भी बढ़-चढ़कर आजादी में अपनी भूमिका निभा सके।
सरोजिनी नायडू का राजनीतिक कैरियर (Sarojini Naidu Career)
सरोजिनी नायडू अपनी कार्यों से और कविताओं के माध्यम से काफी ज्यादा लोकप्रिय होती जा रही थी इसलिए उन्होंने 1925 में यह फैसला लिया कि वह कानपुर से इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए खड़ी होंगी और उसके बाद उन्हें जीत हासिल हुई।
वह भारत की ऐसी पहली महिला बन गई जिसे इंडियन नेशनल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुना गया था 1928 में जब सरोजनी अमेरिका से लौटकर भारत वापस आए। तो उन्होंने गांधी जी की बातों को लोगों तक पहुंचाने का काम किया।
1930 में जब महात्मा गांधी नमक कानून तोड़ा सत्याग्रह कर रहे थे इसमें सरोजनी ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी और जब इस आंदोलन के तहत महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया तब इनकी जगह सरोजिनी ने इस आंदोलन की कमान संभाली थी।
सरोजिनी को भी गांधीजी के साथ 21 महीनों तक जेल में रहना पड़ा था क्योंकि उन्होंने 1942 में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी बहुत मदद की थी।
सरोजिनी को कोकिला क्यों कहा जाता है? (Sarojini Naidu Nightingale of India)
भारत के लोग सरोजनी नायडू को कोकिला के नाम से भी पुकारते थे यह नाम उनकी मधुर आवाज से अपनी कविताओं को पढ़ने के लिए दिया गया था। इनकी कविताएं लोगों के दिलों को छू जाती थी।
क्योंकि उनमें कुछ ऐसा होता था जिससे लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे और लोग उनकी कविताओं को गाने की तरह गाते हुए। आनंदित होकर झूम उठते थे इनकी अधिकतर कविताएं चुलबुले पन से भरी हुई होती थी।
सरोजिनी नायडू को मिलने वाले पुरस्कार (Sarojini Naidu Awards)
- सरोजिनी नायडूइंडियन नेशनल कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काम करने वाली पहली महिला थी और साथ ही वह एक प्रदेश की गवर्नर भी नहीं है।
- सरोजिनी नायडू को 1928 में हिंद केसरी पदक से सम्मानित किया गया था।
- सरोजिनी नायडू को द गोल्डन थ्रेसोल्ड द ब्रोकन विंग्स स द वर्ल्ड ऑफ टाइम सोंग्स ऑफ इंडिया आदि अवार्ड से नवाजा गया था।
- सरोजिनी नायडू ने मोहम्मद अली जिन्ना की बायोग्राफी को हिंदू मुस्लिम एकता के लिए राजदूत का शीर्षक भी दिया था।
सरोजिनी नायडू की जयंती (Sarojini Naidu Birthday)
भारत में जन्मी भारत की बेटी सरोजनी नायडू ने नम्रता की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाई थी उन्होंने महिलाओं और बच्चों के लिए काफी योगदान दिए।
वह एक महिला होने के बाद भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनी थी। इसलिए उनकी जन्मदिवस को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह दिन महिलाओं के नाम पर समर्पित किया गया है।
सरोजिनी नायडू की मृत्यु (Sarojini Naidu death)
भारत की आजादी के बाद 1947 में सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था और वह आजाद देश की पहली महिला गवर्नर थी।
परंतु वह कुछ समय ही आजाद भारत में काम कर सके और 2 मार्च 1949 को अपने ही कार्यालय में जब वह काम कर रही थी तो अचानक से उन्हें अटैक आ गया।
जिसके कारण उनकी मौत हो गई सरोजिनी एक बहुत ही सशक्त महिला थी जिन्होंने हर औरत के लिए एक मार्गदर्शन छोड़ा है जिस पर चलकर वह उन्नति प्राप्त कर सकती है।
Q. सरोजिनी नायडू कौन थी?
सरोजिनी नायडू भारत की एक प्रसिद्ध कवि और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी
Q. सरोजनी नायडू को भारत की कोकिला क्यों कहा जाता है?
अपनी मधुर आवाज के कारण भारत में सरोजनी को कोकिला के नाम से भी जाना जाता है
Q. सरोजिनी नायडू का जन्म कहां हुआ था?
सरोजिनी नायडू का जन्म हैदराबाद हुआ था
Q. सरोजिनी नायडू का जन्म कब हुआ था?
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 हुआ था
अंतिम शब्दों में
दोस्तों इस लेट में हमने आपको भारत की कवि और स्वतंत्रता सेनानी Sarojini Naidu Biography in Hindi के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से सभी जानकारी दी है भारत ने भले ही सरोजिनी नायडू को खो दिया हो परंतु उनके द्वारा लिखी गई कविताएं और महिला सशक्तिकरण की बातें आज भी हमारे भी जिंदा है उन्होंने महिलाओं को जिस तरह अपने हक के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया था
सरोजिनी नायडू जितनी प्रशंसा की जाए वह कम होगी और उन्होंने अपनी कविताओं से इतनी प्रसिद्धि हासिल कर ली थी कि लोगों ने उनका नाम ही बदल दिया था।
यदि हम अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमें लोगों की मदद भी करनी होगी क्योंकि ईश्वर भी उसी का साथ देता है जो दूसरों की मदद करता है यदि आपको यह लेख Sarojini Naidu ka jeevan parichay पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और मित्रों को जरूर शेयर करें।
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