महादेवी वर्मा का जीवन परिचय,जाने कैसे बनी इतने बड़े कवि | Mahadevi Verma Biography in Hindi
Mahadevi Verma ka Jeevan parichay : नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको छायावाद की एक ऐसी महान लेखिका के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनका जन्म बड़ी पूजा-पाठ और दुआओं के बाद हुआ था जिन्होंने भारत की गुलामी और आजादी दोनों को देखकर हिंदी साहित्य में अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया है।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं छायावाद की स्तंभ कहीं जाने वाली महादेवी वर्मा जी की जिन्हें वर्तमान हिंदी साहित्य में मीराबाई के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें महानगर लेखिका के रूप में भी पहचाना जाता है। यह प्रकृति प्रेमी महिला थी जिन्हें पति पक्षियों से काफी प्रेम था।
इन्होंने अपने जीवन में बहुत ही कम उम्र में काफी उतार-चढ़ाव देखें। परंतु उन्होंने बिना बाधाओं से घबराए अपने जीवन को बहुत ही बेहतरीन ढंग से जियाआधुनिक हिंदी साहित्य में महादेवी वर्मा जी ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया था।
जब गांधीजी का सत्याग्रह आंदोलनचरम सीमा पर था। तब इन्हें कवि सम्मेलन में प्रथम पुरस्कार दिया गया था और हिंदी साहित्य मैं इन्होंने ऐसी कविताओ को प्रस्तुत किया। जिन्हें आज भी पढ़कर हमें उनकी याद आ जाती है।
उन्होंने अपनी इन कविताओं से अपने जीवन को अजर अमर बना लिया है। यदि आप महादेवी वर्मा के जीवन के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
Table of Contents
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय| ( Mahadevi Verma Biography in Hindi)
नाम | महादेवी वर्मा |
जन्म | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश, भारत |
मृत्यु | 11 सितंबर 1987 |
मृत्यु स्थान | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिंदू |
नागरिकता | भारतीय |
भाषा | हिंदी |
पुरस्कार | पदम विभूषण |
बहन का नाम | एक बहन थी |
कार्यक्षेत्र | लेखक. अध्यापिका |
आयु | 80 साल |
भाई का नाम | ज्ञात नहीं |
पिता का नाम | गोविंद प्रसाद वर्मा |
माता का नाम | हेम रानी देवी |
महादेवी वर्मा का जन्म (Mahadevi Verma ka janam)
आइए जानते हैं महादेवी वर्मा के जन्म के बारे में महादेवी माता- पिता की पहली संतान का जन्म बहुत ही पूजा-पाठ और दुआओं से हुआ था बताया जाता है कि महादेवी के परिवार में पिछले 7 पीढ़ियों से किसी के यहां बेटी का जन्म नहीं हुआ था।
इसलिए उन्हें कुलदेवी मां दुर्गा का विशेष अनुग्रह माना जाता था इनका जन्म होली के दिन 26 मार्च 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद मैं साहू परिवार में हुआ था। इनके जन्म से पूरे परिवार में खुशी का माहौल था सभी लोग कहना था कि यह देवी दुर्गा का ही रूप है।
इसलिए इनका नाम महादेवी वर्मा रखा गया उनके दादा जी बाबा श्री बांके बिहारी का कहना था। कि आने वाले समय में महादेवी अपने नाम के अनुसार ही अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से अपने नाम को सार्थक करेगीसाथ ही हमारे परिवार का नाम भी यह रोशन करेंगी।
महादेवी वर्मा का परिवार (Mahadevi Verma ka paripar)
महादेवी वर्मा के पिताजी भागलपुर बिहार में एक महाविद्यालय के प्रधानाचार्य थे। इनके पिता जी का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा था। इनकी माता बहुत ही धार्मिक व्यक्ति की थी जो हमेशा भगवान की पूजन पाठ में ही लगी रहती थी। इनका नाम हेमरानी देवी था यह बहुत ही कुशल ग्रहणी थी।
इनके दो भाई भी थे उनके परिवार में हमेशा रामायण, पुराण और गीता का पाठ हुआ करता था इनके घर का माहौल भक्ति में था जिसका प्रभाव महादेवी पर बहुत ज्यादा पड़ा और उनके मन में भी भगवान के प्रति श्रद्धा और विश्वास बढ़ता चला गया।
महादेवी वर्मा की शिक्षा (Mahadevi Verma ki shiksha)
महादेवी अपने पिता की बहुत ही लाडली थी परंतु वह बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार और प्रखर बुद्धि की की महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 1912 में इंदौर के मिशन स्कूल से प्राप्त की साथ ही अलग-अलग विषयों के लिए जैसे की संस्कृत, हिंदी साहित्य, चित्रकला, अंग्रेजी भाषाओं की जानकारी के लिए उन्हें घर पर ही शिक्षिका पढ़ाने के लिए आती थी।
जिसका प्रबंधन उनके पिताजी ने किया था sound nhi aa rhasound nhi aa rha ha ताकि वह घर पर रहकर अन्य विषयों की जानकारी भी प्राप्त कर सके 1916 में विवाह के कारण महादेवी ने अपनी पढ़ाई बीच में रोक दी थी।
परंतु उन्हें उन्होंने 1919 इन्होंने इलाहाबाद के बाई का बाग स्थित क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज मैं एडमिशन लिया इस कॉलेज में छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध थी इन्होंने छात्रावास मैं रहने की अनुमति प्राप्त की और छात्रावास में रहने लगी।
छात्रावास में इनकी साथ सुभद्रा कुमारी चौहान भी रहती थी यह दोनों बहुत ही अच्छी मित्र थी और हमेशा बहनों की तरह साथ रहती थी यहीं से उनके व्यक्तित्व में निखार आने लगा था।
महादेवी वर्मा ने अपने नाम के अनुसार काम किया और 1921 में इन्होंने कक्षा आठवीं में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया और जब वह 7 वर्ष की थी तभी से कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था।
1924 में जब इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा दी थी तब इसमें भी इन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया अपने हिंदी की टीचर से काफी प्रभावित थी और अब तक यह एक सफल कवियत्री भी बन चुकी थी.
इनकी कविताओं का प्रकाशन पत्रिकाओं में होने लगा था। इनकी दो कविताओं का रसिम और बिहार का प्रकाशन हुआ।
वर्ष 1933 में इन्होंने इलाहाबाद के विश्वविद्यालय से संस्कृत से M.A कर डिग्री प्राप्त की यह अपने मित्र सुभद्रा कुमारी चौहान से काफी प्रभावित थी।
कुछ दिनों बाद इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की और वहां की संस्थापक बन गईऔर उस संस्थान की प्रधानाचार्य के रूप में उन्होंने काफी समय तक काम किया।
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महादेवी वर्मा का वैवाहिक जीवन (Mahadevi Verma ki sadhi)
महादेवी वर्मा के जीवन की यह बड़ी ही अजीब सी विडंबना थी। कि 1919 मैं जब यह मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही उनके दादा जी श्री बांके बिहारी ने श्री स्वरूप नारायण वर्मा से इनका विवाह कर दिया था.
जब महादेवी की शादी हुई थी। तब है शादी का मतलब ही नहीं जानती थी इनके पति श्री स्वरूप नारायण वर्मा बरेली के पास स्थित नवाबगंज कस्बे में रहते थे।
वह दसवीं कक्षा के छात्र थे महादेवी के पिताजी इस शादी का विरोध भी नहीं कर पाए क्योंकि उनके दादाजी ने पुण्य लाभ बताकर ऐसे शादी को तय कर दिया था जैसे ही शादी के लिए बारात आई और महादेवी भी अपनी दोस्तों के साथ वहां जाकर खड़ी हो गई।
उनसे कहा गया कि तुम्हें आज उपवास रखना है। जब उन्हें पता चला कि घर में बहुत सारी मिठाई आई है तो वह मिठाई वाले कमरे में जाकर मिठाई खाने लगी और उन्होंने बहुत सी मिठाइयां खाई दिनभर की भागदौड़ से बहुत थक गई थी।
उन्हें नींद लग गई जब है सो गई थी तब रात को नाइन माने उन्हें गोद में लेकर फेरे दिलवाए गठबंधन का जोड़ा जिसे महादेवी के दुपट्टे से बांधा गया था। जैसे ही सुबह हुई उन्होंने आंखें खोली और उस दुपट्टे से गांठ को खोल कर वहां से भाग गई और अपनी मां की गोद में जाकर सो गई।
जिसके कारण उनकी मां की आंखों से आंसू बहने लगे गंगा प्रसाद पांडे जी ने बताया कि महादेवी जब ससुराल पहुंची। तो उन्होंने वहां पर काफी तांडव किया और रोने लगी सब लोगों ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की परंतु उन्होंने किसी की बात नहीं मानी इस कारण नई बहू का स्वागत बहुत ही बुरे ढंग से किया गया।
पूरे घर में एक आतंक सा छा गया जिसके कारण उनके ससुर जी ने उन्हें दूसरे दिन ही उनके घर छोड़ दिया कुछ दिनों बाद जब उनके ससुर जी की मृत्यु हो गई तो उनके पति श्री स्वरूप नारायण वर्मा बहुत दिनों तक अपने ससुर के पास ही रहे स्वरूप नारायण वर्मा को वहां रहना अच्छा नहीं लगता था।
इस कारण उनके दादा जी ने नारायण वर्मा को इंटर की पढ़ाई करवा कर लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवा दिया और वही के छात्रावास में रहने की व्यवस्था कर दी।
महादेवी वर्मा का काव्य संग्रह
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन में ऐसे कई काव्य संकलन किए जिनके कारण उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा गया इनमें से कुछ काव्य संकलन इस प्रकार हैं।
1 | प्रथम आयाम |
2 | संध्या गीत |
3 | नीरजा |
4 | रसम |
5 | सप्तपर्णा |
6 | अग्नि रेखा |
7 | दीपशिखा |
8 | हिमालया |
9 | स्मारिका |
महादेवी वर्मा का साहित्य में स्थान
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन काल में समाज में जो सेवा भाव था। उसे मिटाने का अभूतपूर्व प्रयास किया है उन्होंने अपनी कविताओं में ना केवल स्त्री की भावनाओं का इतिहास लिखा।
उन्होंने गद्य में कई विधाओं में गरीब दलित वर्ग के लोगों बच्चों विधवाओं और बहुचर्चित नारियों को प्रमुख विषय बनाकर उनके उत्थान के लिए लोगों में नहीं भावना का विकास करने के लिए पूरा प्रयास किया है।
हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा के विकास में महादेवी का योगदान काफी सराहनीय रहा है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। स्मृति की रेखाएं चांद श्रृंखला की कड़ियां यह मुख्य कुछ इनके विशिष्ट संपादन हैं।
जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय थे इन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए भी कई ऐसे काम किए हैं जिसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है।
महादेवी वर्मा को मिलने वाले पुरस्कार (Mahadevi Verma awads)
हिंदी साहित्य में अपनी कृतियों से प्रथम स्थान पाने वाली महादेवी वर्मा को अनेक प्रकार के पुरस्कारों से नवाजा गया है जिनमें से एक पुरस्कार ऐसा भी है। जो इन्हें मरणोपरांत दिया गया है।
महादेवी वर्मा ने सन 1955 में इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की थी। इन्होंने साहित्यकार का संपादन पंडित इलाचंद्र जोशी की सहायता से संभाला साहित्यकार संसद का यह सबसे प्रमुख पत्र था।
- सेकसरिया पुरस्कार के लिए महादेवी वर्मा को 1934 में आजादी से पहले इस पुरस्कार से नवाजा गया था।
- 1942 में महादेवी ने अपनी मेहनत से स्मृति की रेखाएं के लिए द्विवेदी पदक प्राप्त किया।
- 1943 में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारत भारती पुरस्कार से नवाजा गया साथ ही मंगला प्रसाद पुरस्कार भी दिया गया।
- भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार महादेवी को उनके काव्य संकलन यामा के लिए दिया गया था।
- आजादी के बाद 1952 में महादेवी को उत्तर प्रदेश की विधानसभा परिषद का सदस्य बनाया गया।
- भारत सरकार द्वारा 1956 में इन्हें साहित्य सेवा के लिए पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया।
- विक्रम विश्वविद्यालय ने उन्हें 1969 में डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया।
महादेवी वर्मा के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- महादेवी वर्मा गाय को सबसे ज्यादा प्रेम करती थी और वह पशु प्रेमी थी।
- इनका विवाह बहुत ही कम उम्र में किया गया था परंतु इन्होंने अपना जीवन अविवाहित की तरह ही गुजारा था।
- महादेवी को कविता लिखने के अलावा संगीत और चित्रकला से भी बहुत प्रेम था।
- महादेवी ने कक्षा आठवीं में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
- महादेवी ने अपने दम पर इलाहाबाद महिला विद्यापीठ की स्थापना की और वहां की कुलपति बनकर कार्य किया।
- महादेवी वर्मा भारत की पहली एक ऐसी महिला थी जिन्हें भारतीय साहित्य अकादमी की सदस्यता 1971 में मिली थी।
महादेवी वर्मा की मृत्यु (Mahadevi Verma ki death)
आधुनिक हिंदी साहित्य की मीराबाई कहे जाने वाली महादेवी वर्मा ने अपना संपूर्ण जीवन प्रयाग इलाहाबाद में रहकर ही गुजारा इन्होंने आधुनिक कब जगत में अपना ऐसा योगदान दिया है।
जिसे कभी कोई नहीं भुला सकता अपनी कविताओं में जिस तरह इन्होंने विरह वेदना का वर्णन कर अपनी भावनाओं की गहनता को समझाया है।
उसके बारे में जितना भी कहा जाए वह कम है। अपने विनम्र स्वभाव और भावुकता ही आपकी पहचान है भले ही आप इस दुनिया से चली गई हो, लेकिन हमारे बीच आप हमेशा जीवित रहेंगे 11 सितंबर 1987 का दिन था जिस दिन भारत ने अपनी प्रतिभा बान बेटी को खोया था जो कि संसार में सदैव अमर रहेंगी।
Q. महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं कौन सी है?
नीहार, अग्निरेखा, दीपशिखा, सप्तपर्णा, रश्मि
Q. महादेवी वर्मा को कितने पुरस्कार मिले हैं?
ज्ञानपीठ पुरस्कार, पदम विभूषण पुरस्कार, पदम भूषण पुरस्कार
Q. महादेवी वर्मा का जन्म कब हुआ था?
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 था
Q. महादेवी वर्मा का जन्म कहां हुआ था?
महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश, भारत था
Q. महादेवी वर्मा के पिता का नाम क्या था?
महादेवी वर्मा के पिता का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा है
निष्कर्ष (Mahadevi Verma Biography in Hindi)
दोस्तों इस लेख में हमने आपको महादेवी वर्मा के जीवन परिचय (Mahadevi Verma Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से सभी जानकारी दी है एक सामान्य परिवार में जन्म लेने के बाद वह छायावाद की एक बहुत बड़ी लेखिका थी।
उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया जब जाकर वह आज ज्ञानपीठ पुरस्कार जानी जाती है हमने उनके जीवन से जुड़ी में सभी बातें बताइए जो आप जानना चाहते हैं।
आशा करने दोस्तों हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप खुश होंगे इसी प्रकार और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करें और सभी जानकारी आप अपने मित्रों को जरूर शेयर करें। ताकि उन्हें भी महादेवी वर्मा के जीवन परिचय ( Mahadevi Verma Ke jeevan Parichay) के बारे में जानकारी हो।
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