भगत सिंह का जीवन परिचय जाने कैसे बनए स्वतंत्रा सेनानी | Bhagat Singh Biography in Hindi

Bhagat Singh Biography in Hindi

भगत सिंह का जीवन परिचय, शिक्षा, जन्म, परिवार, स्वतंत्रता की लड़ाई, शहीद दिवस, संघर्ष, स्लोगन,  पुरस्कार ( Bhagat Singh Biography in Hindi, Birth, Education, Family, Shahid Diwas, Struggle, Slogan, Awards, Bhagat Singh kon hai) 

Bhagat Singh ka jeevan Parichay: नमस्कार दोस्तों आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे महान देशभक्त के बारे में बताने जा रहे हैं  जो भारत की आजादी की लड़ाई में यूथ आइकन बने और उन्होंने हजारों नव युवकों को प्रोत्साहित किया।

दोस्तों हम बात कर रहे हैं भगत सिंह की जिन्होंने महज 23 साल की उम्र में ही अपने प्राणों का बलिदान भारत के लिए हंसते-हंसते दे दिया था भगत सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी थे बचपन से ही अंग्रेजों के लिए उनके दिल में नफरत भरी थी।

क्योंकि जब भी कोई अंग्रेज किसी भारतीय पर अत्याचार करता था भगत सिंह का दिल सहन करता था तभी उन्होंने सोच लिया था कि वे अपने देश के लिए कुछ करेंगे जिससे कि भारतीयों का जीवन भी आसान बन जाए।

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भगत सिंह का कहना था कि अंग्रेज बहरे हो गए हैं यदि उनसे कुछ कहना होगा तो हमें अपनी आवाज तेज करनी होगी ताकि उनके कानों तक इसकी गूंज पहुंचे तभी वह हमारे देश को छोड़ेंगे।

भगत सिंह अंग्रेजों को यह दिखाना चाहते थे कि एक भारतीय यदि ठान ले तो सब कुछ कर सकता है भारत माता के लिए एक हिंदुस्तानी अपने प्राणों की आहुति भी दे सकता है और अगर वह अपनी पर आ जाए तो किसी के प्राण ले भी सकता है।

भगत सिंह हिंसा पर विश्वास रखते थे उनका कहना था कि जब हमारे साथ कोई गलत कर रहा है तो हम किसी के साथ गलत क्यों नहीं कर सकते ईट का जवाब हम पत्थर से देंगे। क्योंकि यदि चुप रहे तो लोग हमारी छुट्टी का फायदा उठाएंगे। 

हम हमेशा उनके पैरों तले दबे रहकर उनकी जातियां चाहते रहेंगे किसी को तो आगे आना ही पड़ेगा तभी हमारा देश आजाद हो सकेगा। यदि आप इस महान शहीद के जीवन के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

भगत सिंह जीवन परिचय | Bhagat Singh Biography in Hindi

नामभगतसिंह
जन्म27 सितंबर 1907
जन्म स्थानलायलपुर जिला बंगा
अन्य नामभांगा वाला
माता का नामविद्यावती कौर
शिक्षानेशनल कॉलेज लाहौर
पिता का नामकिशन सिंह
चाचा का नामअजीत सिंह
मृत्यु23 मार्च 1931

भगत सिंह का जन्म (Bhagat Singh Birth)

भारत माता के सच्चे सपूत भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907  को   लायलपुर  के बंगा में  एक मध्यमवर्गीय    परिवारमैं हुआ था भगत सिंह का पैतृक गांव खड़ा कर कला पंजाब में है भगत सिंह 10 बहन भाई थे।

जब भगत सिंह का जन्म हुआ था तब इनके पिता जेल में थे और साथ ही उनके चाचा अजीत सिंह भी जेल में ही बंद थे परंतु फिर भी  भगत सिंह के जन्म से पूरे परिवार में एक खुशहाली का माहौल उत्पन्न हो गया था

भगत सिंह का परिवार (Bhagat Singh Family)

भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था। इनकी माता का नाम विद्यावती था। भगत सिंह कुल मिलाकर 10 बहन भाई थे। भगत सिंह के पूरे परिवार में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी उनके चाचा का नाम अजीत सिंह था जो भी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे।

अजीत सिंह ने भारतीय देशभक्ति एसोसिएशन ने बनाई थी और उन्होंने अपने कार्यों से देश में आजादी के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार किया था इनके दादा जी भी सच्चे देशभक्त थे और देशभक्ति की प्रथा इनके पूर्वजों से लेकर चली आ रही थी।

इनके परिवार में कई महान स्वतंत्रता सेनानी हुए जिन्होंने देश के लिए अपनी जान हंसते-हंसते समर्पित कर दी थी अपने परिवार से ही भगत सिंह के अंदर देश की प्रति लगाव और समर्पित होने का भाग जागृत हुआ था।

उन्होंने धरती को ही अपनी माता मान लिया था और भारत को आजाद कराने का संकल्प लेकर ही उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की तभी बहुत कम उम्र में उन्होंने वह करतब कर दिखाया। जो कि शायद ही कोई कर पाता।

परंतु उनके इस कार्य में उनके परिवार ने पूरा सहयोग किया तभी वह इस मुकाम तक पहुंच सके और आज हमारे दिलों में बसे हुए हैं और अमर हो गए हैं

भगत सिंह की शिक्षा (Bhagat Singh Education)

भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दयानंद एंगलो वेदिक हाई स्कूल से प्राप्त की और इन्होंने ग्रेजुएशन के लिए नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया परंतु देश प्रेम उनके अंदर नसों में दौड़ रहा था और आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए भगत सिंह ने पढ़ाई छोड़ दी।

क्योंकि वह अपने देश को गुलामी की बेड़ियों में नहीं देखना चाहते थे और वह चाहते थे कि किसी भी तरीके से उनका देश आजाद हो जाए भले ही उसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों ना करना पड़े। इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया।

भगत सिंह क्रांतिकारी आंदोलन (Bhagat Singh indian Freedom Fighter

देश में जब 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ तो भगत सिंह के मन को विचलित कर दिया और वह बहुत दुखी हो गए थे इस घटना के बाद भगत सिंह ने महात्मा गांधी के आंदोलन का खुलकर समर्थन किया और अंग्रेजी चीजों का बहिष्कार कर दिया।

जब भगत सिंह मात्र 14 साल के थे तब उन्होंने सरकारी स्कूलों की किताबों और कपड़ों को जला दिया था भगत सिंह खुले मैदान में अंग्रेजों को धमकी देते थे और कहते थे कि देखो एक हिंदुस्तानी क्या-क्या कर सकता है।

परंतु जब आजाद के नेतृत्व में चोरा चोरी कांड हुआ तो गांधी जी ने असहयोग आंदोलन बंद कर दिया जिसके कारण बहुत दुखी हो गए और उन्होंने दूसरी पार्टी में शामिल होने का मन बना लिया।

क्योंकि गांधीजी अहिंसा वादी थे और वह हिंसा के रास्ते पर नहीं चलना चाहते थे परंतु भगत सिंह का मानना था कि अहिंसा के मार्ग पर चलकर हम आजादी प्राप्त नहीं कर सकते हमें कुछ तो कठोर कदम उठा नहीं होंगे तभी अंग्रेज हमारे देश को छोड़कर जाएंगे।

भगत सिंह ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ी

जब भगत सिंह नेशनल कॉलेज से बीए विषय से अपना ग्रेजुएशन कर रहे थे तब भगत की दोस्ती सुखदेव थापर भगवतीचरण और भी कई दोस्त दोस्त तो से हुई इस समय आजादी के लिए पूरे देश में लड़ाई चरम सीमा तक पहुंच चुकी थी।

तब भगत सिंह ने पढ़ाई छोड़ आजादी की लड़ाई का हिस्सा बन गए परंतु भगत सिंह का परिवार उनकी शादी करवाना चाहता था जैसे ही भगत सिंह को इस बात की जानकारी लगी उन्होंने अपने परिवार से शादी करने के लिए मना कर दिया और कहा यदि आजादी से पहले मेरी शादी हुई तो मेरी दुल्हन मौत बनेगी।

भगतसिंह एक बहुत ही अच्छे कलाकार थे जब भी वह कोई अभिनय करते तो वह देश भक्ति से भरा रहता था जो कि कई भारतीय युवा को उत्साह से भर देता था और अंग्रेज को सबक मिल जाता था।

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भगत सिंह एक बहुत अच्छे निबंधकार भी थे उन्हें निबंध के लिए कई बार पुरस्कार मिले एक ही व्यक्ति में इतने गुण थे जिसका वर्णन करना शायद नामुमकिन सा लगता है।परंतु इतनी कम उम्र में शादी ना करना और अपनी दुल्हन मौत को बताना कोई साधारण व्यक्ति नहीं कर सकता।

भगतसिंह एक ऐसे महान यूथ आइकन थे। जिन्होंने देश की युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत खुलकर गए हैं कि किसी भी कंडीशन में हमें अपनी मातृभूमि की रक्षा करनी है भले ही उसके लिए हमें अपने ऐसो आराम और सुविधाओं का त्याग क्यों ना करना पड़े परंतु हर परिस्थिति में हमें अपने परिवार से भी पहले अपनी मातृभूमि को रखना ही होगा तभी हम सच्चे देशभक्त और देश प्रेमी कहलाएंगे।

भगत सिंह स्वतंत्रता की लड़ाई (Bhagat Singh War of Independence)

भगत सिंह लाहौर वापस आ गए और नौजवान भारत सभा में शामिल हो गए भगत सिंह को इस सभा का सेक्रेटरी बना दिया गया 1928 में चंद्रशेखर द्वारा बनाई गई पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन पार्टी भगत सिंह ने ज्वाइन कर लिया।

इस पार्टी के सभी लोगों ने एक साथ मिलकर 30 अक्टूबर 1928 को अंग्रेजों की  साइमन कमीशन का विरोध करते  हुए कहा साइमन कमीशन वापस जाओ इस आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों पर लाठीचार्ज किया गया। 

जिससे लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए और उनकी मौत हो गई। जिसके कारण आंदोलनकारी लोग और भी ज्यादा आप होश में आ गए और लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए योजना बनाने लगे

लाला लाजपत राय की मौत से भगतसिंह बहुत दुखी थे और उनकी पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा था भगत सिंह ने अपनी पार्टी के साथ मिलकर अंग्रेजों को मारने की योजना बनाई भगत सिंह और उनके साथी ने ऑफिसर स्पॉट को मारने की योजना बनाई।

लेकिन गलती से असिस्टेंट को मार डाला अपने आप को बचाने के लिए भगत सिंह ने तुरंत लाहौर छोड़ दिया और भाग गए ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह को ढूंढने के लिए चारों और जाल बिछा दिया था।

परंतु भगत सिंह ने खुद को बचाने के लिए सिख धर्म के नियमों की भी अवहेलना की और अपनी दाढ़ी मुझे कट वाली जबकि एक प्रशिक्षक कभी भी अपनी दाढ़ी और मूंछ नहीं कर पाता क्योंकि यह सिख धर्म के खिलाफ होता है।

परंतु फिर भी अपने देश के लिए भगत सिंह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे क्योंकि उस समय भगत सिंह के लिए देश ही सब कुछ था और कुछ उनके सामने दिखाई ना दे रहा था

भगत सिंह अपने दोस्तों सुखदेव राजदेव, चंद्रशेखर आजाद से मिल चुके थे भगत सिंह का कहना था कि बड़ा धमाका करना जरूरी है क्योंकि बहरे लोगों को आवाज भी तो आनी चाहिए और उन्होंने बड़ा धमाका करने का फैसला लिया 8 अप्रैल 1929 को अपने दोस्त के साथ मिलकर सरकार की असेंबली में घुस गए और वहां पर बम विस्फोट कर दिया।

उन्होंने खाली जगह पर ही किसी को कोई नुकसान ना हो और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे दोनों भगत सिंह अपने दोस्तों के साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे इतने में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

भगत सिंह और उनके दोस्तों को फांसी की सजा सुनाई (Bhagat Singh Death Reason)

भगत सिंह ने अंग्रेजों को दिखा दिया था कि हिंदुस्तानी कमजोर नहीं है  हिंदुस्तानी जो चाहे वह कर सकता है इसके बाद इन तीनों राजगुरु भगत सिंह सुखदेव पर मुकदमा चला और तीनों को फांसी की सजा सुना दी गई। 

परंतु एक हिंदुस्तानी के जज्बे की बात तो यह है कि जब इन लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई तब भी है इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे जिसे देखकर ब्रिटिश सरकार के पीछे छूट गए भगत सिंह ने जेल में बहुत कुछ कहा उनके साथ सभी कैदियों से अलग व्यवहार किया जाता था।

क्योंकि अंग्रेज भगत सिंह से बहुत ज्यादा नफरत करते थे भगत सिंह ने जेल के अंदर भी एक नए आंदोलन की शुरुआत कर दी और भारतीय कैदियों के लिए अच्छे कपड़े खाने-पीने की मांग सरकार से की परंतु ब्रिटिश सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया।

इसलिए उन्होंने अनशन कर लिया और कई दिनों तक खाना पानी कुछ नहीं खाया पिया अंग्रेज पुलिस भगत सिंह को बहुत मारती थी ताकि वह परेशान होकर हार मान जाए पर भगत सिंह भारत माता का सच्चा बेटा था। 

उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया था। कि कोई भी अंग्रेज भले ही मुझे कितनी यातना दे पर मैं अपने दृढ़ निश्चय से कभी नहीं हटूंगा और अंग्रेजों के सामने कभी नहीं रुकूंगा। जब भगति हैं जेल में बंद थे तब उन्होंने 1930 मैं एक पुस्तक लिखी जिसका नाम Why i am Atheist था।

शहीद दिवस के बारे (Shahid Diwas)

भगत सिंह कि भले ही मृत्यु हो गई हो परंतु वह आज भी हमारे भी जिंदा है उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा इसलिए उनकी मृत्यु तिथि को सही दिवस के रूप में पूरा भारत मनाता है और भगत सिंह प्रत्येक भारतीय युवा के लिए एक आदर्श हैं

क्योंकि मात्र 23 साल की उम्र में उन्होंने वह कर दिखाया जो शायद लोग अपने पूरे जीवन में नहीं कर पाते उन्होंने मौत को अपनी दुल्हन बताते हुए। आजादी से पहले शादी ना करने की कसम खा ली थी धन्य है हमारी भारत माता जिस पर ऐसे ऐसे वीर सपूत हुए हैं।

जिनके बारे में पढ़कर ही हमारे मन में देश के प्रति समर्पित होने का भाग जागृत हो जाता है वह समय कितना बलवान रहा होगा जब धरती पर ऐसे महान नेताओं ने जन्म लिया होगा धन्य है हमारी भारत माता जिसके लिए उसकी वीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों को निछावर कर दिया।

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ऐसे वीरों को हमारी तरफ से शत-शत नमन और हम उनके सदा ऋणी रहेंगे क्यों और उनके बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने देंगे हम हमारे देश की आन बान और शान की हमेशा रक्षा करेंगे।

भगत सिंह के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य (Bhagat Singh important Information)

भगत सिंह को फांसी देने के लिए ले जा रहे थे तब उनसे उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तब उन्होंने कहा था कि रखिए क्योंकि वह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और उस जीवनी को पूरा पढ़ने के लिए थोड़ा समय मांगा जब अधिकारी लेने आ गए।

तब भगत सिंह बोलेरो को और जीवनी को ऊपर फेंकते हुए कहा एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिलने जा रहा है अब चलो तीनों मस्ती से मगन होकर फांसी के फंदे पर लटकने जा रहे थे। 

तीनों इस गीत को गुनगुनाते जा रहे थे मेरा रंग दे बसंती चोला माए रंग दे बसंती चोला और इस गाने के बोल के साथ ही उन तीनों की मौत हो गई।

भगत सिंह की मृत्यु (Bhagat Singh Death)

24 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी जानी थी परंतु उस समय पूरे देश में उन तीनों की रिहाई के लिए आंदोलन चरम सीमा पर चल रहे थे जिसके कारण अंग्रेज डर गए थे कि यदि भगत सिंह को जिंदा छोड़ दिया तो वह ब्रिटिश सरकार का अंत कर देगा

भारत को आजाद करा लेगा इसलिए ब्रिटिश सरकार ने इन तीनों क्रांतिकारियों को 23 मार्च 1931 की मध्य रात्रि में ही फांसी दे दी और जब इन लोगों को फांसी दी गई तब भी इन लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी थी।

वह इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे उनके हौसलों को देखकर ब्रिटिश सरकार के भी होश उड़ गए थे कि कैसे एक सच्चा हिंदुस्तानी अपने देश के लिए अपने प्राणों को हंसते-हंसते निछावर कर देता है।

Q.  भगत सिंह का जन्म कब हुआ था?

 शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 में हुआ था

Q. शहीद दिवस कब मनाया जाता है?

 शहीद दिवस 24 मार्च को पूरे भारत में मनाया जाता है

Q. भगत सिंह कौन थे?

 शहीद भगत सिंह भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने प्राणों को देश के लिए ही निछावर कर दिया था

Q.  शहीद भगत सिंह के कितने भाई थे?

 भगत सिंह पांच भाई बहन थे

Q.  शहीद भगत सिंह के पिता का नाम क्या था?

शहीद भगत सिंह के पिता का नाम किशन था

अंतिम शब्दों में

दोस्तों इस लेख में हमने आपको  भारत के स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से सभी जानकारी दी है। उन्होंने भारत को आजाद करने के लिए विभिन्न प्रकार के संघर्षों का सामना किया था हमने उनके जीवन से जुड़े सभी तथ्यों को इस लेख में आपके लिए साझा किया है।

आशा करते हैं दोस्तों हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप खुश होंगे इसी प्रकार और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करें और सब जानकारी आप अपने मित्रों को जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी भगत सिंह के जीवन परिचय के बारे में जानकारी धन्यवाद।

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