तुलसीदास का जीवन परिचय,जाने कैसे बने इतने महान कवि | Tulsidas Biography In Hindi
Tulsidas ka Jeevan parichay: दोस्तों इस लेख में हम आपको भारत के एक ऐसे महान हिंदू संत के बारे में बताएंगे जिनका नाम तुलसीदास है गोस्वामी तुलसीदास एक धर्म सुधारक के साथ-साथ दार्शनिक हिंदू संत थे भारत की धरती पर बहुत से महान संतों का जन्म हुआ उन सभी महान संतो में इसे एक्शन गोस्वामी तुलसीदास भी थी।
उनके द्वारा रचित हर चौपाई और दोहे हर व्यक्ति के जुबान पर होती है वह एक राम भक्तों के रूप में भी जाने जाते हैं तुलसीदास जन्म से ही सरयूपारीण ब्राह्मण थे। वह रामानंद की गुरु परंपरा में रामानंदी समुदाय के थे।
उन्हें भगवान वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है जिन्होंने एक ऐसे महान ग्रंथ जिसका नाम रामायण है उसकी रचना संस्कृत में की थी।
रामचरितमानस महाकाव्य और हनुमान चालीसा के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास को ही माना जाता है उन्हें बाबा तुलसी के नाम से भी लोग बाग जानते हैं उन्होंने बड़े ही अद्भुत शब्दों में रामचरितमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र को बखान किया है।
उन्होंने अपने जीवन में कई बड़े ग्रंथ लिखे लेकिन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों में श्रीरामचरितमानस का 46 वां स्थान है आइए चलते हैं। दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से ( Tulsidas Biography In Hindi ) जीवन परिचय के जानते हैं तो आप सभी लोग इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
Table of Contents
तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Ka jeevan Parichay)
नाम | गोस्वामी तुलसीदास |
पूरा नाम | राम बोला दुबे |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रायपुर में |
जन्म तारीख | 13 अगस्त 1532 |
मृत्यु | 13 जुलाई 1963 |
मृत्यु का स्थान | वाराणसी के अस्सी घाट |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
शादी की तारीख | 1583 (1526 सीई) में ज्येष्ठ माह (मई-जून) |
जाति | ब्राह्मण |
भाषा | अवधि |
वैवाहिक स्थिति | शादीशुदा |
रचिता | श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा |
गुरु | नरहरी दास |
तुलसीदास जी का जन्म (Tulsidas ka Janam)
तुलसीदास का जन्म 13 अगस्त 1532 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर में हुआ था गोस्वामी तुलसीदास राम भक्तों के साथ समाज सुधारक भी थे उनके पिता का नाम आत्माराम शुक्ल दुबे था और माता का नाम हुलसी था।
तुलसीदास का जब जन्म हुआ था तो वह अपनी जन्म पर रोए नहीं थे वह अपने 32 दांतो के साथ जन्मे थे और उनका बचपन का नाम राम बोला था।
Read Also – 15+ जानिए इंस्टाग्राम पर 1 Lakh फॉलोअर्स कैसे बढ़ाए | Instagram Par Follower Kaise Badhaye 2024
जबकि कई विद्वान के द्वारा तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुआ था ऐसा मानते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा तुलसीदास के जन्म को आधारित रूप से राजापुर में ही माना जाता है।
तुलसीदास जी की शिक्षा (Tulsidas ki Shiksha)
बाबा तुलसी की प्रारंभिक शिक्षा उनके गुरु नरसिंह दास जी के आश्रम में हुई थी तुलसी जी 7 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता ने उन्हें शिक्षा दीक्षा के लिए नरहरी बाबा के आश्रम भेज दिया जो कि श्री अनंतानंद जी की प्रिय शिष्य थे हरि बाबा के आश्रम में रहते हुए तुलसीदास ने मात्र 14 से 15 साल की उम्र में सनातन धर्म व्याकरण संस्कृत हिंदू साहित्य दर्शन वेदांग ज्योतिष शास्त्र आदि विषयों की शिक्षा प्राप्त की थी
तुलसीदास के गुरु नरसिंह दास ने ही इनका नाम रामबोला से तुलसीदास रखा था शिक्षा प्राप्त करने के बाद तुलसीदास अपने घर चित्रकूट वापस लौट आए और लोगों को महाभारत राम कथा सुनाने लगे
तुलसीदास जी की शादी (Tulsidas ji ki shadi)
तुलसीदास जी की शादी को लेकर बहुत सी बातें होती है कुछ लोग कहते हैं तुलसीदास जी की शादी कि भारद्वाज ब्राह्मण दीनबंधु पाठक की बेटी रत्नावली से 1583 मैं हुई थी इस शादी से इनका एक पुत्र भी हुआ था जिसका नाम तारक था।
Read Also – Best (+11 तरीक) इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट करने का सीधा तरीका यहां देखें 2024 | instagram id delete kaise kare
जिसकी मृत्यु बहुत ही कम उम्र में हो गई थी तुलसीदास जी अपनी पत्नी रत्नावली से बहुत अधिक प्रेम करते थे एक बार वह तुलसी जी को बिना बताए अपने भाई के साथ अपने मायके चली गई तब बाबा तुलसी उनसे 1 दिन की दूरी सह नहीं पाए और उनसे मिलने के लिए बहुत बड़े तूफान का सामना कर अपने ससुराल चुपके से पहुंच गए।
इससे रत्नावली के मन में बहुत ही शर्म की भावना पैदा हुई और उन्होंने अपने पति से कुछ ऐसा कहा कि उन्होंने सन्यासी बनने का निर्णय ले लिया।
उन्होंने बाबा तुलसी से कहा कि मेरा शरीर हड्डियों मांसपेशियों का एक जाल है यदि आप भगवान राम के लिए मेरे शरीर को छोड़कर उससे आधा प्रेम भी कर ले तो आप का उद्धार हो जाएगा।
उस दिन से ही तुलसीदास ने इस बाहरी ढांचे को त्याग कर मोक्ष प्राप्ति के लिए मार्ग चुन लिया और भगवान की शरण में चले गए बाबा तुलसीदास ने प्रयाग में जाकर साधु का भेष धारण कर लिया। जब रत्नावली को यह बात पता चली तो वह मन ही मन खुद को पूछने लगी कि उसने यह क्या कह दिया जिसके कारण उसके पति ने साधु रूप को अपना लिया।
परंतु कुछ लोगों का मानना है कि बाबा तुलसीदास जन्म से ही साधु रहे हैं उन्हें हनुमान भक्त भी कहा जाता है इस हिसाब से अगर देखा जाए तो उन्होंने कभी शादी की ही नहीं थी। वह अपनी मृत्यु तक साधु ही रहे और उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया।
तुलसीदास के साहित्य जीवन के बारे में
तुलसीदास ने अपने साहित्यिक जीवन में कई बड़े काम किए हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर ने उन्हें स्वयं संस्कृत भाषा की वजह स्थानीय भाषा में अपनी कविता लिखने को कहा था। यह बात तुलसीदास ने कही है वे कहते हैं कि जब मैंने आंख खुली जो देखा कि शिव और पार्वती ने आशीर्वाद दिया है।
उन्हें अयोध्या जाने और वहां पर अपनी कविता को अवधी भाषा में लिखने का आदेश दिया है तुलसीदास ने पहले मानस मंदिर, चित्र, सतना, मैं मूर्ति बनाई फिर उन्होंने वाराणसी के लोगों के लिए संस्कृत में कविता लिखना प्रारंभ किया।
Read Also – 2024 में इंस्टाग्राम पर लाइक बढ़ाने का सबसे आसान तरीका जानिए | Instagram Par Like Kaise Badhaye
तुलसीदास जी की मृत्यु (Tulsidas ji ki death)
तुलसीदास का निधन सन 1623 में श्रावण के महीने में गंगा नदी के अस्सी घाट पर हुआ था यहीं पर तुलसीदास का अंतिम संस्कार किया गया था। वह भारत के महान कवि हुए और उन्होंने कई रचनाओं ऐसी की जिसकी कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है।
तुलसीदास जी की रचनाएँ (Tulsidas ki rachnaye)
तुलसीदास द्वारा कई रचनाएं लिखी गई है। लेकिन अपने जीवन मैं कुछ ऐसी प्रसिद्ध रचना भी उन्होंने की है जिसके द्वारा दुनिया होने जानती है। आइए आज इस लेख में हम तुलसीदास की वह वह रचना के बारे में बताएंगे जो पहुंच ज्यादा प्रसिद्ध है इन रचनाओं को भाषा के आधार पर दो भागों में बांटा गया है।
अवधी | ब्रज |
रामचरितमानस | विनायक पत्रिका |
बरवाई रामायण | वैराग्य संधिपनी |
रामलला नहछू | दोहावली |
पार्वती मंगल | साहित्य रत्न |
जानकी मंगल | गीतावली |
रामाज्ञ | कृष्ण गीतावली |
तुलसीदास जी की रचनाएँ हनुमान चालीसा
दोस्तों इस लेख में हमने आपको पहले ही बता दिया है कि तुलसीदास भारत के बहुत महान कवि है उन्होंने इन 12 रचनाओं के अलावा भी कुछ ऐसी रचना की है। जिसे भारत के लोग बड़े आदर के साथ उन रचनाओं को प्रतिदिन पढ़ते हैं आइए जानते हैं। उन रचनाओं के बारे में उन रचनाओं का एक अलग ही स्थान है।
1 | हनुमान चालीसा | 40 छंद, 40 चौपाई और 2 दोहे. अवधी |
2 | संकटमोचन हनुमानाष्टक | अवधी , 8 श्लोक |
3 | तुलसी सत्सई | 747 दोहों, अवधी और ब्रज, सात सरगों या सर्गों में विभाजित है। |
4 | हनुमान बाहुका | ब्रज में 44 श्लोक |
Q. तुलसीदास का बचपन में क्या नाम था?
रामबोला दुबे
Q. तुलसीदास जी का पूरा नाम क्या हैं?
गोस्वामी तुलसीदास
Q. तुलसीदास का जन्म कब हुआ था?
13 अगस्त 1532
Q. गोस्वामी तुलसी दास जी का जन्म स्थान क्या हैं?
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर में
Q. तुलसीदास की 12 रचनाएं कौन कौन सी है?
अवधी – रामचरितमानस, रामलला नहछू, बरवाई रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल और रामाज्ञ प्रश्न.
ब्रज – कृष्ण गीतावली, गीतावली, साहित्य रत्न, दोहावली, वैराग्य संधिपनी और विनायक पत्रिका.
अंतिम शब्दों में
दोस्तों इस लेख में हमने भारत के महान कवि गोस्वामी तुलसीदास के जीवन परिचय ( Tulsidas ka jeevan parichay ) के बारे में विस्तार से सभी जानकारी बताई है गोस्वामी तुलसीदास ने किस प्रकार अपने जीवन में परिश्रम करके ऐसी कई महान रचना को लिखा है जिसके कारण वह आज इतने प्रसिद्ध हुए हैं।
दोस्तों आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई ( Tulsidas Biography In Hindi ) जानकारी से आप खुश होंगे इस प्रकार की और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट जरुर करें और यह सब जानकारी अपने मित्रों को जरुर शेयर करें।
श्रुति शर्मा (IAS) का जीवन परिचय | Shruti Sharma IAS Biography in Hindi