पी टी उषा का जीवन परिचय,जाने संघर्ष के बारे में | P T Usha Biography in Hindi
P T Usha Biography in Hindi : दोस्तों इस लेख में हम आज एक ऐसी भारतीय महिला के बारे में बताएंगे जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं है वर्तमान में अगर भारत में किसी से भी तेज दौड़ने वाली महिला का नाम पूछा जाए। तो बच्चे से लेकर बड़े तक के मुंह से सबसे पहले पीटी उषा का नाम आता है।
भारत को साल 1979 से लगभग 2 दशक तक अपनी प्रतिभा के कारण गौरवान्वित किया है पीटी उषा से तेज दौड़ने वाली महिला भारत में नहीं है। उनके सामने मुकाबले करने से सभी डरते हैं उन्होंने अपनी मेहनत के ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था।
वर्तमान समय में पीटी उषा मध्य प्रदेश के केरल राज्य में एथलीट स्कूल चलाती है और देश के बच्चों को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी हर संभव मदद करती है। अगर किसी भी बच्चे को उनके स्कूल में एडमिशन करवाना है तो उनकी स्कूल की एक ऑफिशियल वेबसाइट है।
जहां पर आप जाकर एडमिशन कर सकते हैं। दोस्तों इस लेख में हम आपको P T Usha Biography in Hindi के बारे में विस्तार से सभी जानकारी बताएंगे तो आज के हमारे इस लेख को तक जरूर पढ़ें।
Table of Contents
पी टी उषा का जीवन परिचय ( P T Usha Biography in Hindi )
नाम | पी टी उषा |
पूरा नाम | पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा |
अन्य नाम | गोल्डन गर्ल |
जन्म | 27 जून, 1964 |
जन्म स्थान | पय्योली, कोज्हिकोड़े, केरल |
पेशा | ट्रैक एवं फील्ड एथलीट |
कोच का नाम | ओ.एम. नाम्बियार |
धर्म | हिंदू |
उम्र | 59 years |
लंबाई | 5 फीट 7 इंच |
नागरिकता | भारतीय |
पी टी उषा का परिवार ( P T Usha Family )
नाम | पी टी उषा |
पिता का नाम | इ पी एम् पैतल |
माता का नाम | टी वी लक्ष्मी |
बेटे का नाम | उज्जवल |
पति का नाम | वी श्रीनिवासन |
पी टी उषा का जन्म ( P T Usha Birth )
पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नामक एक गांव में हुआ था वैसे इन्हें सभी पीटी उषा के नाम से ही जानते हैं। लेकिन इनका पूरा नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा है। इ पी एम् पैतल इनके पिता का नाम है और इनकी माता का नाम टीवी लक्ष्मी है।
पीटी उषा बचपन से ही बहुत ज्यादा पतली और शारीरिक रूप से कमजोर थी इसीलिए उनका बचपन में स्वास्थ्य खराब रहता था। लेकिन अपने प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत के दौरान उन्होंने अपना स्वास्थ्य सुधार लिया।
हालांकि जब उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ की थी तब उनके अंदर एक एथलीट नजर आने लगा केरल के कन्नूर में सरकार ने साल 1976 में एक सरकारी एथलीट सेंटर शुरू किया। उस वक्त पीटी ऊषा 12 साल की थी उस समय सरकार के द्वारा कुन्नूर के एथलीट सेंटर में पीटी उषा का अन्य 40 महिलाओं के साथ चयन हुआ था।
यहां पर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने अपने जीवन का पहला नेशनल एथलीट कंपटीशन मैं साल 1979 पहली जीत हासिल की थी। हालांकि यह वह समय था जब पीटी उषा ने दौड़ के क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल कर कर अपने क्षेत्र और केरल राज्य का नाम रोशन किया था।
उसके बाद पीटी उषा कई तरह की अलग-अलग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने शुरू कर दिया और अपनी मेहनत के दम पर हर जगह हर देश के लिए उन्होंने गोल्ड मेडल जीतावाया। अपने शानदार एथलीट प्रदर्शन के कारण पीटी उषा का जगह जगह सम्मान होने लगा और उन्हें कई नाम से लोग सम्मानित करने लगे।
पी टी उषा का करियर ( P T Usha Career )
पीटी उषा ने अपने करियर की शुरुआत साल 1980 में की थी। वह जब मात्र 16 साल की थी पाकिस्तान के कराची में हुए “पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट” में पीटी उषा ने हिस्सा लेकर इंटरनेशनल खेल में अपने खेल की शुरुआत की थी।
इस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पीटी ऊषा ने भारत के लिए 4 मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया था।इसके बाद पीटी उषा ने साल 1982 में वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट में 1 सिल्वर और एक गोल्ड मैडल जीता था। उसके कुछ दिन बाद दिल्ली में हुए “दिल्ली एशियन गेम्स” मैं 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में पीटी उषा ने अपनी मेहनत के दम पर 2 सिल्वर मेडल जीते थे।
पीटी उषा की जैसे – जैसे उम्र बढ़ती गई वैसे उनके खेल मैं बहुत ज्यादा सुधार होता गया। वह ऊंचाइयों के नए नए मुकाम हासिल करने लगे। साल 1983 में कुवैत में हुए “एशियन ट्रेक एंड फील्ड चैंपियनशिप” मैं 400 मीटर की रेस में पीटी उषा ने गोल्ड मेडल जीत कर भारत के लिए बहुत ही बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया था।
साल 1984 में लॉसएंजिल्स मैं हुए, ओलंपिक में पीटी उषा ने अपनी मेहनत और शानदार प्रदर्शन से चौथा स्थान प्राप्त किया था और ओलंपिक के फाइनल राउंड में पहुंचने वाली वह भारत की पहली महिला एथलीट बनी थी हालांकि वह इस मैच में जीत नहीं पाई थी। ओलंपिक के फाइनल राउंड में वह 1/100 सैकेंड्स के मार्जिन से हार गई थी।
‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ का यह मुकाबला जकर्ता मैं साल 1985 में हुआ था तब इस चैंपियनशिप में पीटी उषा ने 5 गोल्ड और एक ब्रोंज मेडल जीता था उसके बाद दसवें एशियन गेम्स साल 1986 में सीओल में हुए थे।
उस चैंपियनशिप में भी पीटी उषा ने 4 रेशों में जीत हासिल प्राप्त की थी और उसके बाद एक बार फिर भारत के लिए गोल्ड मेडल प्राप्त किया था। इसके बाद दिल्ली में आयोजित एशियन ट्रेड फेडरेशन मीट मैं साल 1989 में पीटी उषा ने 4 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल जीते थे।
साल 1990 में आयोजित ‘बीजिंग एशियन गेम्स’ में पीटी उषा ने 3 सिल्वर मेडल अपने नाम किए और साल 2000 में पीटी उषा ने अपने एथलेटिक्स जीवन से संन्यास ले लिया था।
दोस्तों आपको बता दो पीटी उषा ने अपने जीवन में इंटरनेशनल लेवल पर 101 पदक और नेशनल लेवल पर 1000 से भी ज्यादा पदक और ट्राफी जीतकर अनोखा कीर्तिमान बनाया था और यह भारत की सबसे तेज दौड़ने वाली महिला बन गई थी।
पी टी उषा की शिक्षा ( P T Usha Education )
दोस्तों आपको बता दूं कि पी टी उषा की प्रारंभिक शिक्षा केरल राज्य के पय्योली मैं स्थित एक प्राइमरी विद्यालय से हुई थी। उनका बचपन से ही बहुत ज्यादा खेलकूद में मन लगता था। पी टी उषा ने जब अपनी पढ़ाई प्रारंभ की थी।
तब सातवीं क्लास में पढ़ते समय उनके टीचर ने क्लास की एक चैंपियन करवाई थी। उस चैंपियनशिप में पीटी उषा रे जीत गई और उनके मन में खेल के प्रति और ज्यादा मनोबल बढ़ गया।
और साथ में उनके माता-पिता के द्वारा और भी ज्यादा खेलकूद में प्रेरित करने पर वर्ष 1976 में सरकार द्वारा कराए जाने वाले महिला स्पोर्ट्स गेम में पीटी उषा ने भाग लिया और सरकार के द्वारा कराए गए। इस स्पोर्ट्स में पीटी उषा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और इसके बाद पीटी उषा का चयन एथलेटिक में हो गया।
पी टी उषा का विवाह ( P T Usha Marriage )
पीटी उषा ने अपने एथलेटिक्स करियर की शुरुआत करने के बाद साल 1991 में श्रीनिवास से शादी कर ली थी। और पीटी उषा ने श्रीनिवास से शादी करने के बाद अपनी जिंदगी में काफी बदलाव देखें और शादी के कुछ वर्षों बाद श्रीनिवास और पीटी उषा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम इन्होंने उज्जवल रखा था।
पी टी उषा अवार्ड्स ( P T Usha Won Awards)
- भारत का नाम ऊंचा करने, उत्कृष्ट सेवा, एथलेटिक्स के खेल के प्रति उनका प्रयास और उनकी मेहनत थी कारण उन्हें सन 1984 में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था
- 1985 में पदम श्री से सम्मानित किया गया था
- ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी सेंचुरी’ एवं ‘स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ़ दी मिलेनियम’ पुरस्कार से पी टी उषा को इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा सम्मानित किया गया था
- जकार्ता में हुए ‘एशियन एथलीट मीट’ के लिए पीटी उषा को साल 1985 में ‘ग्रेटेस्ट वीमेन एथलीट’ का खिताब से सम्मानित किया गया था
- सन 1985 और 1986 में को वर्ल्ड ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था
- ‘एडिडास गोल्डन शू अवार्ड फॉर दी बेस्ट एथलीट’ का खिताब पी टी उषा के नाम है यह किताब इन्हें साल 1986 में मिला था
- केरल खेल पत्रकार
पी टी उषा खबर 2023 (Latest News)
पीटी उषा भारत की सबसे तेज दौड़ने वाली महिला है उन्होंने अपने मेहनत और प्रतिभा के कारण भारत का नाम रोशन किया वह वर्तमान में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष हैं और उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया है और उन्होंने हाल ही में दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने वाले पहलवानों से भी मुलाकात की है क्योंकि दिल्ली में जंतर मंतर 23 अप्रैल से साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया जैसे कई पहलवान धरने पर बैठे हैं उनकी मांग है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण को यौन उत्पीड़न के केस में गिरफ्तार किया जाए इस धरना प्रदर्शन में पीटी उषा ने पहलवानों से मुलाकात कर उन्हें समझाएं दी है कि वे उनके साथ है उन्होंने कहा मैं आप सभी को न्याय दिलाएं.
Q. पी टी उषा क्यों प्रसिद्ध हैं?
रनिंग के लिए प्रसिद्ध है।
Q. पी टी उषा का प्रोफेशन क्या है?
ट्रैक और फील्ड एथलीट।
Q. पी टी उषा ने कितने मेडल जीते हैं?
पी टी उषा ने 103 international मेडल जीते हैं?
Q. पी टी उषा का जन्म कब हुआ?
जन्म 27 जून 1964 को केरल में हुआ था।
Q. पीटी उषा का पूरा नाम क्या है?
पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है।
अंतिम शब्दों में
दोस्तों इस लेख मैं P T Usha Biography in Hindi हमने आपको पीटी उषा के बारे में बताया है. उन्होंने कैसे एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद भारत की सबसे तेज दौड़ने वाली महिला बनी और अपने जीवन में लगभग कई राष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीते और भारत का मान बढ़ाया है.
उन्होंने देश की सभी लड़कियों को यह बता दिया है कि लड़कों से किसी भी तरह लड़की कम नहीं है अपनी दम मेहनत और इमानदारी से वह किसी भी मुकाम तक पहुंच सकते हैं.
दोस्तों हमारे द्वारा पीटी उषा के बारे में इस लेख में संपूर्ण जानकारी दी है आशा करते हैं ऐसी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी इसी प्रकार की और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट जरुर करें और ऐसा भी जानकारी आप अपने मित्रों को जरूर शेयर करें.
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