हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय,जाने रोचक किस्सों के बारे | Harivansh Rai Bachchan Biography in hindi
हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय, जन्म, परिवार, करियर, मृत्यु, कविताएं, रचनाएं, आत्मकथा, साहित्यिक योगदान ( Harivansh Rai Bachchan Biography in hindi , Birth, Death, Family, Poem, Marriage, Quotes )
नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख में हम आपको उस महान व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी कविताओं से वर्तमान युग की युवा पीढ़ी को काफी प्रभावित किया है। जो हिंदी भाषा के महान कवि और लेखक माने जाते हैं और उनकी कविताओं को आपने भी कभी ना कभी जरूर पढ़ा होगा।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं उत्तर छायावादी युग के एक आशावादी कवि जिनका नाम हरिवंशराय बच्चन हैं जिन्होंने हमारे देश की आजादी में अपना पूरा सहयोग दिया था।
उन्होंने अपनी कविताओं से देश के नौजवानों में एक क्रांति का प्रचार प्रसार किया था जिसे लोगों ने काफी सराहा था। उनकी कविताएं साहस और शक्ति से ओतप्रोत होती थीजिसे पढ़ने के बाद किसी का भी मन देश के प्रति समर्पित हो उठता था इसलिए इन्हें नई सदी का नया कवि कहा जाता था।
यह आज हमारे बीच नहीं है परंतु इनकी कविता को सुनकर हम आज भी आनंद लेते हैं इनकी सभी कविताएं सदैव जीवित रहेंगे जो हमें वास्तविकता का अनुभव कराती हैं। जिनमें हमारे जीवन की सच्चाई का पूरा वर्णन मिलता है। ऐसे महान राष्ट्रवादी कवि हरिवंशराय बच्चन के जीवन के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़ें।
‘मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो और भी अच्छा’। यह हरिवंश राय बच्चन द्वारा प्रसिद्ध वाक्य है और इस प्रचलित कहावत को आज की युवा पीढ़ी के लिए बहुत ज्यादा प्रेरणादायक है.
Table of Contents
हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय | Harivansh Rai Bachchan Biography in hindi
नाम | डॉ हरिवंश राय बच्चन |
जन्म | 27 नवम्बर 1907 |
जन्म स्थान | बाबुपत्ति गाव |
कार्य | लेखक, स्वतन्त्रतासेनानी,कवि,विचारक |
मृत्यु | 18 जनवरी, 2003 |
मृत्यु स्थान | मुंबई |
शिक्षा | पी॰ एच॰ डी॰ |
अवार्ड | पद्मभूषण ,साहित्य अकादमी |
शैली | छायावाद,हिंदी |
हरिवंशराय बच्चन का परिवार| Harivansh Rai Bachchan Family
नाम | डॉ हरिवंश राय बच्चन |
पिता का नाम | प्रताप नारायण श्रीवास्तव |
माता का नाम | सरस्वती देवी |
सन्तान | अमिताभ और अजिताभ |
पत्नी का नाम (पहली पत्नी) | श्यामा देवी |
पत्नी का नाम ( दूसरी पत्नी) | तेजी बच्चन |
हरिवंशराय बच्चन का जन्म ( Harivansh Rai Bachchan Birth )
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बाबू पट्टी के कायस्थ परिवार में हुआ था।
इनका असली नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव था परंतु बचपन में उन्हें सब बच्चन के नाम से बुलाते थे इसलिए आगे चलकर उनका सरनेम ही बच्चन पड़ गया जबकि असल में उनका सरनेम श्रीवास्तव है।
इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता का नाम सरस्वती देवी था इनके माता-पिता धार्मिक प्रवृत्ति के थे। जिसका इन पर काफी प्रभाव पड़ा बचपन से ही इनका स्वभाव बहुत तेज होने के कारण कई लोग इन्हें एंग्री मैन कहकर भी बुलाते थे।
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा ( Harivansh Rai Bachchan Education )
हरिवंश राय बच्चन जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल से की उस समय उर्दू सीखने का कानून हुआ करता था। इसलिए उन्होंने कायस्थ स्कूल में एडमिशन लिया और वहां से उर्दू सीखी 1938 में इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर विषय से M.A किया और उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ही 1952 तक लेक्चरर के पद पर काम किया।
उसी समय वह देश की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी के संपर्क में आए,परंतु कुछ दिनों बाद ही उन्हें एहसास हो गया कि बे कुछ और करना चाहते हैं उन्होंने सोच लिया था कि मुझे अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ ऐसा करना होगा।
जिससे कि मैं हर किसी के मन में एक नई ऊर्जा की लहर पैदा कर सकूं, इसलिए वह इंग्लिश लिटरेचर से पीएचडी करने के लिए इंग्लैंड कि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए वही तो उन्होंने अपने नाम के आगे श्रीवास्तव बदलकर बच्चन लगाना शुरू किया।
हरिवंश राय बच्चन ऐसे दूसरे भारतीय थे। जिन्होंने इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। इंग्लैंड से वापस आकर बे ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद मैं काम करने लगे और साथ ही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे।
हरिवंश राय जी की शादी ( Harivansh Rai Bachchan Marriage )
हरिवंश राय बच्चन जब B.A. कर रहे थे. उसी समय उनकी मुलाकात श्यामा बच्चन से हुई। जिससे उन्हें प्यार हो गया. प्यार होने के बाद दोनों परिवारों की आपसी सहमति से 1926 में इनकी शादी करा दी गई। शादी से पहले ही हरिवंश राय बच्चन की काफी कविताएं प्रसिद्ध हो गई थी
जिसके कारण इनके घर आने जाने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती थी परंतु श्यामा बच्चन को टीवी होने के कारण अचानक ही उनकी मृत्यु हो गई जिसके कारण हरिवंश राय बच्चन बहुत उदास और अकेले रहने लगे.तभी वह एक दिन अपने दोस्त प्रकाश के पास गए।
जहां उनकी मुलाकात मिस तेजी सूरी से हुई. जिनसे मिलकर उन्हें अच्छा लगा और यहां से उन्होंने अपने जीवन की फिर से शुरुआत कर दी. उस मुलाकात को प्यार में बदल दिया और 24 जनवरी 1942 मैं इन्होंने मिस तेजी सूरी से शादी कर ली इस शादी से उनके दो बच्चे अमिताभ बच्चन और अजीताभ बच्चन हुए।
भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तेजी बच्चन की बहुत अच्छी दोस्त थी. भारतीय जगत सिनेमा के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के पिता होने के कारण इनकी प्रसिद्धि औरअधिक बढ़ गई. इनके पिता के तेज स्वभाव के कारण अभिताभ बच्चन भी उनसे कभी ऊंची निगाह करके बात ना कर पाए इनका तेज व्यक्तित्व अपनी कविताओं में भी झलकता है।
हरिवंश राय बच्चन को मिली प्रसिद्धि और सम्मान
हरिवंश राय बच्चन सन 1955 में दिल्ली चले गए. तभी भारत सरकार ने उन्हें विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया. इनका अच्छा प्रदर्शन और काम देखकर सन 1966 में राज्यसभा के लिए भी इनका नाम लिया गया और 3 साल बाद ही इन्हें भारत सरकार ने साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा गया था।
हिंदी भाषा के छायावादी कवि के रूप में इनकी प्रसिद्धि फैलती गईऔर हिंदी साहित्य में इनके योगदान के लिए 1976 में इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं इन्हें नेहरू अवॉर्ड लोटस अवार्ड सरस्वती सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
हरिवंश राय बच्चन ने शेक्सपियर की Macbeth and Othello का हिंदी में अनुवाद किया जिसके लिए उन्हें सदैव याद किया जाता है इंदिरा गांधी की मौत के बाद हरिवंश राय बच्चन जी ने अपनी आखिरी रचना 1 नवंबर 1984 को लिखी थी।
हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं और काव्य शैली
हरिवंश राय हाला बादी काव्य और व्यक्तिवादी कविता गीत सबसे पहले कवि थे। यह उमर खय्याम की रुबाइयों से प्रभावित होकर मधुशाला की रचना की इनकी रचना काफी प्रसिद्ध हुई और कवियों मैं चाहने वाले कवियों में इनका नाम सामने आया।
हरिवंश राय जी की प्रमुख कृतियां मधुकलश मधुशाला सतरंगिणी एकांत संगीत खादी के फूल मिलन दो चट्टान सूत की माला आरती निशा निमंत्रण और अंगारे हैं। इनकी कविताओं को इनकी पुत्र अमिताभ बच्चन ने आवाज देकर और भी मधुर बना दिया है पिता पुत्र की जुगलबंदी का कोई जवाब नहीं है।
यह जुगलबंदी दिल को छू जाने वाली है हरिवंश राय बच्चन जी ने अपने जीवन काल में बहुत सी कविताएं लिखी परंतु मधुशाला इन की सबसे प्रिय और प्रसिद्ध रचना थी जिससे इन्हें इतनी ख्याति मिली है वर्तमान समय में अमिताभ बच्चन ने अपने पिताजी की कई कविताओं को अपनी आवाज दी है. जिससे उनकी प्रसिद्धि और बढ़ गई है इनकी पहली सबसे अलग थी इसीलिए इनको नए युग का कवि माना जाता है।
हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ ( Harivansh Rai Bachchan Poems )
1 | 1932 | तेरा हार |
2 | 1935 | मधुशाला |
3 | 1936 | मधुबाला |
4 | 1937 | मधु कलर्स |
5 | 1938 | दिशा निमंत्रण |
6 | 1939 | एकांत संगीत |
7 | 1943 | आकुल अंतर |
8 | 1945 | सतरंगी |
9 | 1946 | हलाहल |
10 | 1946 | बंगाल का काल |
11 | 1948 | खादी का फूल |
12 | 1948 | सूत की माला |
13 | 1950 | मिलन यामिनी |
14 | 1955 | प्रणय पत्रिका |
15 | 1957 | धार के इधर उधर |
16 | 1958 | आरती और अंगारे |
17 | 1958 | बुद्धि और नाज घर |
18 | 1961 | त्रिभंगा |
19 | 1962 | 4 खेमे 64 भुट्टे |
20 | – | चिड़िया का घर |
21 | – | सबसे पहले |
22 | – | काला कौवा |
हरिवंश राय बच्चन जी का निधन ( Harivansh Rai Bachchan Death )
18 जनवरी 2003 को हरिवंश राय बच्चन ने इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनका निधन मुंबई में हुआ था उन्होंने अपने जीवन के 95 वर्ष ऐसे जिए जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। उन्होंने अपने जीवन काल से पढ़ने वालों और सुनने वालों को अपनी रचनाओं से ऐसा तोहफा दिया है।
जिसे कभी भुला नहीं जा सकता मरना तो बस एक प्रक्रिया है वह तो निश्चित है जो पृथ्वी पर आया है उसे जाना ही है लेकिन हरिवंश राय बच्चन जी अपनी कविता और रचनाओं के माध्यम से आज भी हमारे बीच जीवित है और हमेशा रहेंगे और याद किए जाएंगे.
इनकी रचनाओं ने भारतीय हिंदी साहित्य को एक नई दिशा देकर इतिहास रच दिया है जिसके लिए भारत सदैव इनका ऋणी रहेगा जिन्होंने भारत का गर्व से सिर ऊंचा कर दिया है.
ऐसी विचारधारा वाले कभी कई सदियों के बाद जन्म लेते हैं. इनके जैसा कवि बहुत ही कम होंगे जिनकी हर रचना में देश के प्रति प्रेम और निष्ठा को संजोया गया है उन्होंने हर रोज निराश व्यक्ति के लिए एक और पहल करने के लिए आजादी है इनकी हर रचना हमारे लिए धरोहर हैं जिनका हम सभी को सम्मान करना चाहिए.
हरिवंश राय बच्चन पुरस्कार ( Harivansh Rai Bachchan Awards )
1 | 1976 में पद्म भूषण सम्मान |
2 | बिड़ला फाउण्डेशन द्वारा सरस्वती सम्मान |
3 | एफ्रो एशियाई सम्मेलन का कमल पुरस्कार |
4 | सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार |
हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा
दोस्तों अब हम आपको बताएंगे हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा के बारे में उन्होंने बचपन की आत्मकथा चार खंडों में लिखी है उनके द्वारा लिखी गई आत्मकथा इस प्रकार है क्या भूलूं क्या याद करूं, बसेरे से दूर, दशद्वारा से सोपाना तक संस्करण है, नींड़ का निर्माण फिर, इत्यादि इन आत्मकथा को लोग आज भी पढ़ना पसंद करते हैं इन सभी आत्मकथा ओं का वर्णन हिंदी अंग्रेजी के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं में भी किया गया है जिसके कारण लोग इन्हें पढ़ना पसंद करते हैं.
Q. हरिवंश राय की पहली पत्नी का नाम क्या था?
हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी का नाम श्यामा गया था
Q. हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु कब हुई थी?
18 जनवरी 2003
Q. हरिवंश राय बच्चन की प्रथम कविता कौन सी है?
स्वीकृत
Q. हरिवंश राय बच्चन के कितने बच्चे हैं ?
अमिताभ बच्चन और अजिताभ बच्चन दो बच्चे हैं
Q. हरिवंश राय बच्चन ने किसकी रचना की ?
मधुकलश,मधुबाला,मधुशाला
Q. मधुशाला का प्रकाशन कब हुआ ?
मधुशाला का प्रकाशन 2015 में हुआ।
अंतिम शब्दों में
दोस्तों इस लेख में हमने आपको हरिवंश राय बच्चन की जीवन परिचय ( Harivansh Rai Bachchan Biography in hindi ) के बारे में बताया है. हरिवंश राय बच्चन ने अपनी कविता में कहा है. कि “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं” होती. इसी तरह अगर मनुष्य जीवन में जो कुछ भी पाना चाहता है उसे कड़ी मेहनत और पूरी शिद्दत से पाना चाहता है तो पूरी कायनात उसकी मदद करती है.
जिस प्रकार से हरिवंश राय बच्चन ने कई संघर्षों को पूरा कर अपनी रचनाओं के रूप में हमें जो तोहफा दिया है जो कि अनंत काल तक रहेगा उसी तरह यदि हम अपने जीवन में कुछ एक लक्ष्य बनाकर आगे बढ़े तभी हमारा जीवन सार्थक होगा अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें.
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